
अग्नाशय कैंसर
समय पर जांच से जीवन बच सकता है!
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सारांश
- कारण
- लक्षण
- निदान

तथ्य (Facts)
- भारत में अग्नाशय कैंसर मौत का एक बड़ा कारण है, क्योंकि इसे शुरुआती चरण में पहचानना मुश्किल होता है।
- धूम्रपान करने वालों में अग्नाशय कैंसर होने की संभावना 2-3 गुना अधिक होती है, क्योंकि यह पाचन एंजाइम्स पर सीधा असर डालता है।
- टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों में अग्नाशय कैंसर का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में अधिक होता है।
- अगर लंबे समय तक अग्नाशय में सूजन (पैंक्रियाटाइटिस) बनी रहे, तो कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है।
- उन्नत चरण में कैंसर फैल जाता है, जिससे केवल 10% मरीजों के लिए ही सर्जरी संभव हो पाती है।
और जानें (Know More)
- अग्नाशय शरीर में पाचन एंजाइम और इंसुलिन हार्मोन बनाता है, जो भोजन को पचाने और ब्लड शुगर नियंत्रित करने में मदद करता है।
- अगर अग्नाशय कैंसर का जल्द पता चल जाए, तो सर्जरी, कीमोथेरपी और टार्गेटेड थेरेपी से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
- कुछ शोध बताते हैं कि ज्यादा रेड मीट और प्रोसेस्ड फूड खाने से अग्नाशय कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
- धूम्रपान, शराब और ज्यादा तली-भुनी चीज़ें छोड़ने से अग्नाशय को स्वस्थ रखा जा सकता है और कैंसर का खतरा कम हो सकता है।
- TACE और RFA जैसी नई इलाज पद्धतियां फिलहाल कुछ ही मरीजों के लिए उपलब्ध हैं और इनके प्रभावों पर अभी शोध चल रहा है।
लक्षण (Symptoms)
- अचानक वजन घटना
- भूख कम लगना
- पेट और पीठ में लगातार दर्द
- त्वचा और आंखों का पीला पड़ना (पीलिया)
- उल्टी और अपच
- मल का रंग हल्का या सफेद होना
- थकान और कमजोरी
- टाइप-2 डायबिटीज का अचानक बढ़ना
- शरीर में खुजली
- खांसी और सांस लेने में दिक्कत
⦿ अचानक वजन घटना: अग्नाशय सही से पाचन नहीं कर पाता, जिससे शरीर को पर्याप्त पोषण नहीं मिलता और वजन तेजी से घटता है।
⦿ भूख कम लगना: पाचन तंत्र की गड़बड़ी के कारण भूख कम हो जाती है, जिससे शरीर कमजोर होने लगता है।
⦿ पेट और पीठ में लगातार दर्द: कैंसर बढ़ने से अग्नाशय पर दबाव पड़ता है, जिससे पेट के ऊपरी हिस्से और पीठ में लगातार दर्द रहता है।
⦿ त्वचा और आंखों का पीला पड़ना (पीलिया): कैंसर पित्त नली को प्रभावित करता है, जिससे पित्त का प्रवाह बाधित हो जाता है और त्वचा पीली हो जाती है।
⦿ उल्टी और अपच: अग्नाशय सही तरीके से पाचक रस नहीं बना पाता, जिससे खाना ठीक से नहीं पचता और बार-बार उल्टी होती है।
⦿ मल का रंग हल्का या सफेद होना: पित्त प्रवाह रुकने से मल का रंग हल्का या सफेद हो सकता है, जो अग्नाशय कैंसर का संकेत हो सकता है।
⦿ थकान और कमजोरी: शरीर को पर्याप्त पोषण न मिलने के कारण मरीज हमेशा थका हुआ और कमजोर महसूस करता है।
⦿ टाइप-2 डायबिटीज का अचानक बढ़ना: अगर डायबिटीज अचानक ज्यादा बिगड़ जाए या नया डायबिटीज डायग्नोस हो, तो यह अग्नाशय कैंसर का संकेत हो सकता है।
⦿ शरीर में खुजली: पित्ताशय पर असर पड़ने से पित्त में बदलाव होता है, जिससे त्वचा में लगातार खुजली हो सकती है।
⦿ खांसी और सांस लेने में दिक्कत: अगर कैंसर फेफड़ों तक फैल जाए, तो सांस लेने में दिक्कत और लगातार खांसी हो सकती है।
कारण (Causes)
- धूम्रपान और तंबाकू सेवन
- अत्यधिक शराब का सेवन
- टाइप-2 डायबिटीज
- अग्नाशय में पुरानी सूजन (क्रॉनिक पैंक्रिएटाइटिस)
- अधिक वजन और मोटापा
- असंतुलित और अस्वस्थ खानपान
- जहरीले रसायनों और दवाओं का असर
- पारिवारिक इतिहास
- हेपेटाइटिस बी और सी वायरस
- गलत जीवनशैली और शारीरिक गतिविधि की कमी
⦿ धूम्रपान और तंबाकू सेवन: सिगरेट और तंबाकू में मौजूद रसायन अग्नाशय की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे कैंसर का खतरा 2-3 गुना बढ़ जाता है।
⦿ अत्यधिक शराब का सेवन: लंबे समय तक ज्यादा शराब पीने से अग्नाशय में सूजन (पैंक्रिएटाइटिस) हो सकती है, जो आगे चलकर कैंसर में बदल सकता है।
⦿ टाइप-2 डायबिटीज: डायबिटीज से अग्नाशय प्रभावित होता है, जिससे कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।
⦿ अग्नाशय में पुरानी सूजन (क्रॉनिक पैंक्रिएटाइटिस): अगर लंबे समय तक अग्नाशय में सूजन बनी रहे, तो कोशिकाओं में गड़बड़ी हो सकती है, जिससे कैंसर हो सकता है।
⦿ अधिक वजन और मोटापा: ज्यादा तला-भुना खाना और बढ़ता वजन अग्नाशय पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है।
⦿ असंतुलित और अस्वस्थ खानपान: प्रोसेस्ड फूड, ज्यादा तला-भुना खाना और लाल मांस का अधिक सेवन पाचन तंत्र को प्रभावित करता है और कैंसर का खतरा बढ़ाता है।
⦿ जहरीले रसायनों और दवाओं का असर: यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय तक जहरीले रसायनों या कुछ खास दवाओं का संपर्क रहता है, तो अग्नाशय को नुकसान पहुंच सकता है।
⦿ पारिवारिक इतिहास: अगर परिवार में किसी को अग्नाशय कैंसर हुआ है, तो अगली पीढ़ी को भी यह होने की संभावना अधिक होती है।
⦿ हेपेटाइटिस बी और सी वायरस: यह वायरस लीवर के साथ अग्नाशय को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
⦿ गलत जीवनशैली और शारीरिक गतिविधि की कमी: ज्यादा आरामतलब जीवनशैली, ज्यादा खाना और कम व्यायाम करने से अग्नाशय कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
निदान (Diagnosis)
- अल्ट्रासाउंड
- CT स्कैन
- MRI (मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग)
- PET स्कैन
- एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (EUS)
- ERCP (एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियो-पैंक्रिएटोग्राफी)
- बायोप्सी
- रक्त परीक्षण (CA 19-9)
- लैप्रोस्कोपी
- जेनेटिक परीक्षण
⦿ अल्ट्रासाउंड: पाचन तंत्र में कोई गांठ या असामान्य वृद्धि है या नहीं, यह जानने के लिए यह एक आसान और किफायती स्कैन है।
⦿ CT स्कैन: अग्नाशय कैंसर का आकार, उसकी स्थिति और शरीर में फैलाव का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाता है।
⦿ MRI (मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग): अग्नाशय, उसकी नसों, कोशिकाओं और रक्त वाहिकाओं में कैंसर की मौजूदगी का पता लगाने में मदद करता है।
⦿ PET स्कैन: शरीर के अन्य अंगों में कैंसर फैला है या नहीं, यह जानने के लिए आधुनिक स्कैन तकनीक।
⦿ एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (EUS): एंडोस्कोप द्वारा अग्नाशय की बारीकी से जांच कर कैंसर की पुष्टि की जाती है।
⦿ ERCP (एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियो-पैंक्रिएटोग्राफी): पित्त और अग्नाशय की नलियों में किसी अवरोध या गांठ का पता लगाने के लिए एक विशेष एंडोस्कोपी प्रक्रिया।
⦿ बायोप्सी: कैंसर की पुष्टि के लिए कोशिकाओं के नमूने लेकर लैब में जांच की जाती है।
⦿ रक्त परीक्षण (CA 19-9): खून में बढ़े हुए CA 19-9 प्रोटीन का स्तर कैंसर का संकेत दे सकता है।
⦿ लैप्रोस्कोपी: यदि कैंसर स्पष्ट रूप से नहीं दिखता, तो छोटे चीरों के माध्यम से कैमरा डालकर जांच की जाती है।
⦿ जेनेटिक परीक्षण: अगर कैंसर आनुवंशिक हो सकता है, तो DNA जांच के माध्यम से इसके जोखिम का अनुमान लगाया जाता है।
उपचार (Treatments)
- सर्जरी (Whipple प्रक्रिया)
- अग्नाशय को पूरी तरह निकालना
- कीमोथेरेपी
- टार्गेटेड थेरेपी
- इम्यूनोथेरेपी
- रेडिएशन थेरेपी
- पैलिएटिव केयर
- आहार और जीवनशैली में सुधार
⦿ सर्जरी (Whipple प्रक्रिया): यदि कैंसर केवल अग्नाशय में सीमित है, तो प्रभावित हिस्सा हटाया जाता है, यह सबसे प्रभावी इलाज है।
⦿ अग्नाशय को पूरी तरह निकालना: यदि कैंसर बड़े हिस्से में फैल चुका है, तो अग्नाशय का अधिकतर या संपूर्ण भाग हटाना पड़ सकता है।
⦿ कीमोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए विशेष दवाएं दी जाती हैं, खासकर जब कैंसर फैल चुका हो।
⦿ टार्गेटेड थेरेपी: कैंसर कोशिकाओं में मौजूद विशेष प्रोटीन को निशाना बनाकर दवाओं के जरिए कैंसर को खत्म किया जाता है।
⦿ इम्यूनोथेरेपी: यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर कैंसर से लड़ने में मदद करती है।
⦿ रेडिएशन थेरेपी: यदि सर्जरी संभव नहीं है, तो कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए हाई-एनर्जी रेडिएशन का उपयोग किया जाता है।
⦿ पैलिएटिव केयर: यदि कैंसर बहुत फैल चुका हो, तो मरीज की तकलीफ कम करने और जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए विशेष उपचार दिए जाते हैं।
⦿ आहार और जीवनशैली में सुधार: संतुलित आहार, कम वसा वाला भोजन और नियमित व्यायाम कैंसर के नियंत्रण में सहायक हो सकता है।
उपचार विकल्प और परिणाम तालिका
उपचार | संकेत | सामान्य दुष्प्रभाव | अपेक्षित परिणाम |
---|---|---|---|
व्हिपल सर्जरी | यदि कैंसर केवल अग्नाशय में सीमित है और अन्य अंगों को प्रभावित नहीं किया है | पाचन समस्या, वजन घटाना, शरीर में कमजोरी | कैंसरग्रस्त भाग को हटाकर जीवनकाल बढ़ाना |
अग्नाशय को पूरी तरह निकालना | यदि कैंसर अग्नाशय के बड़े हिस्से में फैल गया हो | इंसुलिन की कमी, पाचन समस्या, शरीर कमजोर होना | शरीर से कैंसर हटाकर जीवन को लंबा करना |
कीमोथेरेपी | यदि कैंसर फैल चुका हो और सर्जरी संभव न हो | उल्टी, बाल झड़ना, थकान, प्रतिरक्षा कमजोर होना | कैंसर की वृद्धि को रोकना और जीवनकाल बढ़ाना |
टार्गेटेड थेरेपी | यदि कैंसर विशेष जीन या प्रोटीन पर निर्भर होकर बढ़ रहा हो | त्वचा की समस्याएं, हल्की एलर्जी, थकान | विशिष्ट कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर वृद्धि को रोकना |
इम्यूनोथेरेपी | यदि कैंसर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को दरकिनार कर तेजी से फैल रहा हो | बुखार, थकान, एलर्जी प्रतिक्रिया | प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर कैंसर से लड़ना |
रेडिएशन थेरेपी | यदि ट्यूमर को छोटा करना हो या सर्जरी संभव न हो | त्वचा में जलन, अपच, कमजोरी | ट्यूमर की वृद्धि को रोकना या उसे छोटा करना |
पैलिएटिव केयर | यदि कैंसर चिकित्सा से नियंत्रित न हो सके | दर्द नियंत्रण, थकान कम करने की दवाएं | रोगी को आराम और जीवन की गुणवत्ता में सुधार |
आहार और जीवनशैली में बदलाव | अग्नाशय के स्वास्थ्य और पाचन में सुधार के लिए | पाचन में सुधार, ऊर्जा में वृद्धि | स्वस्थ आहार और व्यवस्थित जीवनशैली से स्वास्थ्य में सुधार |
अपने डॉक्टर से पूछने के लिए प्रश्न
- मेरे अग्नाशय कैंसर का चरण क्या है और यह कितना गंभीर है?
- मेरे लिए सबसे प्रभावी उपचार विकल्प कौन सा रहेगा?
- उपचार के दौरान कौन से दुष्प्रभाव हो सकते हैं, और उन्हें कैसे प्रबंधित किया जा सकता है?
- क्या मैं सर्जरी के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हूं, या मुझे अन्य विकल्पों पर विचार करना चाहिए?
- आज से मुझे अपने आहार और जीवनशैली में क्या बदलाव करने चाहिए?
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों

डॉ हर्ष शाह
MS, MCh (G I cancer Surgeon)
डॉ. हर्ष शाह अहमदाबाद के एक प्रसिद्ध जीआई और एचपीबी रोबोटिक कैंसर सर्जन हैं। वे भोजन नली, पेट, लीवर, पैंक्रियास, बड़ी आंत, मलाशय और छोटी आंत के कैंसर का इलाज करते हैं। वे अपोलो अस्पताल में उपलब्ध हैं।