
पेट का कैंसर
कौन सी आदतें आपको खतरे में डाल सकती हैं?
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सारांश
- कारण
- लक्षण
- निदान

तथ्य (Facts)
- पेट का कैंसर दुनियाभर में कैंसर से होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में शामिल है, क्योंकि यह आमतौर पर देर से पहचान में आता है।
- हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया का संक्रमण पेट की अंदरूनी सतह को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
- धूम्रपान करने वालों में पेट के कैंसर की संभावना 2-3 गुना अधिक होती है, क्योंकि यह पेट की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।
- भूख कम लगना और खाने के बाद भारीपन महसूस होना पेट के कैंसर के शुरुआती संकेत हो सकते हैं, जिन्हें लोग अक्सर साधारण अपच मान लेते हैं।
- उल्टी में खून आना या मल में खून दिखना उन्नत चरण के कैंसर का संकेत हो सकता है, जिसके लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
और जानें (Know More)
- हेलिकोबैक्टर पाइलोरी संक्रमण पेट के कैंसर का मुख्य कारण है, जिसकी समय पर जांच और सही इलाज से इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है।
- लंबे समय तक एसिडिटी और गैस्ट्रिक अल्सर का सही इलाज न होने पर यह पेट की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर कैंसर का कारण बन सकता है।
- धूम्रपान, शराब और प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन पेट की अंदरूनी कोशिकाओं को कमजोर करता है, जिससे कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।
- शुरुआती चरण में पेट का कैंसर कोई स्पष्ट लक्षण नहीं देता, लेकिन हल्के पाचन संबंधी समस्याओं को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये गंभीर बीमारी की ओर संकेत कर सकते हैं।
- एंडोस्कोपी और बायोप्सी पेट के कैंसर की पहचान के लिए सबसे सटीक जांच विधियां हैं, जो ट्यूमर के स्तर को सही तरीके से निर्धारित कर सकती हैं।
लक्षण (Symptoms)
- पेट में लगातार दर्द
- खाने के बाद भारीपन
- भूख में कमी
- अचानक वजन घटना
- उल्टी या खून की उल्टी
- पाचन समस्याएं
- पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला पड़ना)
- थकान और कमजोरी
- मल में खून आना
- शरीर में दर्द और जलन
⦿ पेट में लगातार दर्द: शुरुआत में हल्का दर्द महसूस हो सकता है, जो समय के साथ तेज हो सकता है और खाने के बाद बढ़ सकता है।
⦿ खाने के बाद भारीपन: थोड़ा खाने के बाद भी पेट भरा हुआ लगना या असहजता महसूस होना पाचन समस्या का संकेत हो सकता है।
⦿ भूख में कमी: कैंसर के कारण पाचन प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिससे अनियमित भूख या बिल्कुल भूख न लगने की समस्या हो सकती है।
⦿ अचानक वजन घटना: भोजन पचाने में कठिनाई और पोषक तत्वों की कमी के कारण शरीर तेजी से वजन खोने लगता है।
⦿ उल्टी या खून की उल्टी: कैंसर पेट की अंदरूनी दीवार को नुकसान पहुंचाता है, जिससे उल्टी हो सकती है और कभी-कभी उसमें खून भी आ सकता है।
⦿ पाचन समस्याएं: बार-बार अपच, गैस, एसिडिटी और मल में बदलाव पेट के कैंसर के शुरुआती संकेत हो सकते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
⦿ पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला पड़ना): यदि कैंसर पित्त नली पर दबाव डालता है, तो त्वचा और आंखें पीली हो सकती हैं, जो गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता है।
⦿ थकान और कमजोरी: पोषक तत्वों की कमी और हीमोग्लोबिन कम होने के कारण लगातार थकान और ऊर्जा की कमी महसूस हो सकती है।
⦿ मल में खून आना: कैंसर के कारण आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है, जिससे मल का रंग काला या लाल हो सकता है।
⦿ शरीर में दर्द और जलन: पेट के अंदर कैंसर बढ़ने से शरीर में असहजता, दबाव और दर्द महसूस हो सकता है।
कारण (Causes)
- हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया
- अत्यधिक धूम्रपान और तंबाकू सेवन
- अस्वस्थ आहार और ज्यादा खट्टा-मसालेदार भोजन
- लंबे समय तक एसिडिटी और अल्सर
- अत्यधिक शराब का सेवन
- आनुवंशिक कारण
- मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता
- जंक फूड और प्रिजर्वेटिव युक्त भोजन का अधिक सेवन
- रेडिएशन एक्सपोजर
- कुछ दवाओं का लंबे समय तक उपयोग
⦿ हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया: यह बैक्टीरिया पेट की अंदरूनी सतह को नुकसान पहुंचाकर कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
⦿ अत्यधिक धूम्रपान और तंबाकू सेवन: सिगरेट और तंबाकू में मौजूद जहरीले रसायन पेट की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर कैंसर का कारण बन सकते हैं।
⦿ अस्वस्थ आहार और ज्यादा खट्टा-मसालेदार भोजन: अधिक प्रोसेस्ड, तला-भुना और खट्टा भोजन पेट की दीवार के लिए हानिकारक हो सकता है।
⦿ लंबे समय तक एसिडिटी और अल्सर: अगर गैस्ट्रिक समस्याओं का सही समय पर इलाज न हो, तो पेट की कोशिकाओं में बदलाव होकर कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
⦿ अत्यधिक शराब का सेवन: ज्यादा शराब पीने से पेट की अंदरूनी परत कमजोर हो जाती है, जिससे कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने का अनुकूल वातावरण मिलता है।
⦿ आनुवंशिक कारण: यदि परिवार में किसी को पेट का कैंसर हुआ है, तो अन्य सदस्यों में भी इसका खतरा बढ़ सकता है।
⦿ मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता: अधिक वजन और कम शारीरिक गतिविधि पेट में सूजन और कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती है।
⦿ जंक फूड और प्रिजर्वेटिव युक्त भोजन का अधिक सेवन: इन खाद्य पदार्थों में मौजूद रसायन पेट की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
⦿ रेडिएशन एक्सपोजर: रेडिएशन थेरेपी या जहरीले पदार्थों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से पेट का कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है।
⦿ कुछ दवाओं का लंबे समय तक उपयोग: स्टेरॉयड या दर्द निवारक दवाओं का अधिक सेवन पाचन क्रिया को कमजोर कर सकता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
निदान (Diagnosis)
- अल्ट्रासाउंड
- एंडोस्कोपी
- बायोप्सी
- CT स्कैन
- MRI स्कैन
- PET स्कैन
- रक्त परीक्षण
- जेनेटिक परीक्षण
- एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (EUS)
- लैप्रोस्कोपी
⦿ अल्ट्रासाउंड: पेट के अंदर गांठ या असामान्य बदलाव का पता लगाने के लिए यह एक सरल और किफायती तकनीक है।
⦿ एंडोस्कोपी: कैमरे के जरिए पेट के अंदर की जांच की जाती है, ताकि कैंसर के कोई संकेत हैं या नहीं, इसका पता लगाया जा सके।
⦿ बायोप्सी: एंडोस्कोपी के दौरान संदिग्ध कोशिकाओं के नमूने लेकर लैब में जांच की जाती है, जिससे कैंसर की पुष्टि होती है।
⦿ CT स्कैन: यह जांच यह देखने के लिए की जाती है कि कैंसर पेट में कितना फैला है और ट्यूमर कितना बड़ा है।
⦿ MRI स्कैन: पेट और आसपास के अंगों की अधिक स्पष्ट छवि प्राप्त करने के लिए यह उन्नत स्कैनिंग विधि उपयोग की जाती है।
⦿ PET स्कैन: कैंसर कोशिकाएं कितनी सक्रिय हैं और क्या वे अन्य अंगों में फैल रही हैं, यह पता लगाने के लिए यह स्कैन किया जाता है।
⦿ रक्त परीक्षण: कैंसर की उपस्थिति के संकेत के रूप में रक्त में कुछ ट्यूमर मार्करों की जांच की जाती है।
⦿ जेनेटिक परीक्षण: यदि पेट के कैंसर का आनुवंशिक जोखिम है, तो डीएनए परीक्षण के माध्यम से इसकी पूर्व जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
⦿ एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (EUS): यह एक विशेष अल्ट्रासाउंड तकनीक है, जिसका उपयोग पेट के अंदर ट्यूमर और उसकी सघनता की जांच के लिए किया जाता है।
⦿ लैप्रोस्कोपी: पेट के अंदर कैमरे के जरिए लाइव निरीक्षण करके कैंसर की स्थिति और फैलाव की विस्तृत जानकारी प्राप्त की जाती है।
उपचार (Treatments)
- सर्जरी (गैस्ट्रेक्टॉमी)
- कीमोथेरेपी
- रेडिएशन थेरेपी
- टार्गेटेड थेरेपी
- इम्यूनोथेरेपी
- एंडोस्कोपिक ट्यूमर हटाना
- पैलिएटिव केयर
- TACE (ट्रांसआर्टेरियल केमोएंबोलाइज़ेशन)
- क्लिनिकल ट्रायल
- आहार और जीवनशैली में बदलाव
⦿ सर्जरी (गैस्ट्रेक्टॉमी): कैंसरग्रस्त पेट के प्रभावित भाग या संपूर्ण पेट को हटाकर स्वस्थ ऊतकों के साथ पाचन तंत्र को पुनर्निर्मित किया जाता है।
⦿ कीमोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाएं दी जाती हैं, जो पेट और शरीर के अन्य भागों में फैले कैंसर पर प्रभावी होती हैं।
⦿ रेडिएशन थेरेपी: कैंसर के ट्यूमर को छोटा करने और पेट में कैंसर की वृद्धि को रोकने के लिए विकिरण का उपयोग किया जाता है।
⦿ टार्गेटेड थेरेपी: यह उपचार कैंसर की विशेष प्रोटीन और जीन को निशाना बनाकर उसकी वृद्धि को रोकने में मदद करता है।
⦿ इम्यूनोथेरेपी: यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में मदद करने वाली नवीनतम उपचार पद्धति है।
⦿ एंडोस्कोपिक ट्यूमर हटाना: शुरुआती चरण के कैंसर में एंडोस्कोप की मदद से छोटे ट्यूमर को हटाया जा सकता है।
⦿ पैलिएटिव केयर: यदि कैंसर पूरी तरह ठीक नहीं हो सकता, तो मरीज के दर्द को कम करने और आराम देने के लिए विशेष उपचार किया जाता है।
⦿ TACE (ट्रांसआर्टेरियल केमोएंबोलाइज़ेशन): कैंसर कोशिकाओं तक सीधे कीमोथेरेपी दवाएं पहुंचाने और उनकी वृद्धि को रोकने की एक उन्नत विधि।
⦿ क्लिनिकल ट्रायल: नई उपचार तकनीकों में भाग लेकर बेहतर और उन्नत इलाज पाने का अवसर।
⦿ आहार और जीवनशैली में बदलाव: पोषक तत्वों से भरपूर भोजन, कम वसा वाला आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से कैंसर के परिणामों में सुधार हो सकता है।
उपचार विकल्प और परिणाम तालिका
उपचार | संकेत | सामान्य दुष्प्रभाव | अपेक्षित परिणाम |
---|---|---|---|
सर्जरी (गैस्ट्रेक्टॉमी) | यदि कैंसर केवल पेट तक सीमित हो | पाचन समस्या, वजन कम होना, थकान | कैंसरग्रस्त भाग हटाकर सेहत में सुधार |
कीमोथेरेपी | यदि कैंसर फैल चुका हो और सर्जरी संभव न हो | उल्टी, बाल झड़ना, प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होना | कैंसर की वृद्धि रोकना और जीवनकाल बढ़ाना |
रेडिएशन थेरेपी | यदि ट्यूमर छोटा करना हो या सर्जरी संभव न हो | थकान, त्वचा की लाली, पाचन समस्या | ट्यूमर की वृद्धि रोकना या उसे छोटा करना |
टार्गेटेड थेरेपी | यदि कैंसर विशेष प्रोटीन या जीन पर निर्भर होकर बढ़ रहा हो | त्वचा संबंधी समस्याएं, हल्की एलर्जी, थकान | विशिष्ट कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर उनकी वृद्धि रोकना |
इम्यूनोथेरेपी | यदि कैंसर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को दरकिनार कर फैल रहा हो | बुखार, थकान, एलर्जी प्रतिक्रिया | प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर कैंसर से लड़ना |
एंडोस्कोपिक ट्यूमर हटाना | प्रारंभिक अवस्था के छोटे ट्यूमर के लिए | हल्की जलन, पेट में असहजता | प्राथमिक अवस्था में ट्यूमर को हटाना |
TACE (कीमोएंबोलाइज़ेशन) | यदि कैंसर रक्त वाहिकाओं के माध्यम से पोषण प्राप्त कर रहा हो | पेट दर्द, थकान, हल्का बुखार | कैंसर कोशिकाओं को कीमोथेरेपी से नियंत्रित करना |
RFA (रेडियो एब्लेशन) | यदि ट्यूमर छोटा हो और सर्जरी संभव न हो | गर्मी लगना, त्वचा में जलन, स्थानीय दर्द | ट्यूमर को गर्मी से नष्ट करना |
पैलिएटिव केयर | यदि कैंसर को नियंत्रित नहीं किया जा सकता | दर्द नियंत्रण, थकान कम करने की दवाएं | मरीज को आराम और जीवन की गुणवत्ता में सुधार |
आहार और जीवनशैली में बदलाव | पेट की सेहत सुधारने और पाचन को सुचारू बनाने के लिए | पाचन में सुधार, ऊर्जा में वृद्धि | स्वस्थ आहार और व्यवस्थित जीवनशैली से स्वास्थ्य में सुधार |
अपने डॉक्टर से पूछने के लिए प्रश्न
- मेरा पेट का कैंसर किस चरण में है, और यह कितना गंभीर है?
- मेरे लिए कौन सा उपचार सबसे अधिक प्रभावी रहेगा?
- उपचार के दौरान किन दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है, और उन्हें कैसे प्रबंधित किया जाए?
- क्या मैं सर्जरी के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हूं, या अन्य विकल्प मेरे लिए बेहतर होंगे?
- आहार और जीवनशैली में कौन से बदलाव करने से मेरी सेहत में सुधार हो सकता है?
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों

डॉ हर्ष शाह
MS, MCh (G I cancer Surgeon)
डॉ. हर्ष शाह अहमदाबाद के एक प्रसिद्ध जीआई और एचपीबी रोबोटिक कैंसर सर्जन हैं। वे भोजन नली, पेट, लीवर, पैंक्रियास, बड़ी आंत, मलाशय और छोटी आंत के कैंसर का इलाज करते हैं। वे अपोलो अस्पताल में उपलब्ध हैं।