
पित्ताशय का कैंसर
किसे अधिक खतरा है और क्या करें?
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सारांश
- कारण
- लक्षण
- निदान

तथ्य (Facts)
- अन्य पाचन तंत्र के कैंसर की तुलना में यह कम मामलों में देखा जाता है, लेकिन अक्सर यह आगे के चरण में ही पाया जाता है, जिससे उपचार कठिन हो जाता है।
- पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस रोग की संभावना अधिक होती है, विशेष रूप से वे लोग जो पित्ताशय की पथरी से पीड़ित होते हैं।
- लंबे समय की पथरी पित्ताशय के अंदर सूजन पैदा करती है, जो यदि समय पर उपचार न हो, तो कैंसर के लिए महत्वपूर्ण कारक बन सकती है।
- पित्ताशय शरीर के अंदर स्थित ऐसा अंग है, जहाँ तक पहुँचना मुश्किल होता है इसलिए शुरुआती लक्षण स्पष्ट नहीं होते।
- इस रोग की उच्च संख्या को भोजन और जीवनशैली से जोड़ा जाता है, जिसमें अधिक तला हुआ और वसायुक्त आहार मुख्य कारण बन सकता है।
और जानें (Know More)
- यह रोग शुरुआती चरण में नहीं मिलता, और अधिकांशतः लंबे समय के पित्ताशय की सूजन या पथरी के कारण विकसित होता है।
- अधिक वसायुक्त आहार पित्ताशय के तंतुओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, जो लंबे समय में कैंसर के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
- पीलिया, पेट के दाहिने हिस्से में दर्द, वजन घटाना और थकान जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें, क्योंकि यह कैंसर के शुरुआती संकेत हो सकते हैं।
- पित्ताशय के कैंसर के सटीक निदान के लिए CT स्कैन, PET स्कैन और बायोप्सी का उपयोग होता है, जो प्रभावित क्षेत्र का पता लगाते हैं।
- तला हुआ और वसायुक्त आहार से बचें, तंबाकू और धूम्रपान छोड़ें और नियमित जांच कराएं रोग के जोखिम को कम करता है।
लक्षण (Symptoms)
- पेट के दाहिने हिस्से में लगातार दर्द
- त्वचा और आँखों का पीला होना
- उल्टी और अपच होना
- वजन में अनावश्यक कमी
- मुँह में कड़वा स्वाद
- भूख कम लगना
- सर्दी या बुखार आना
- मल में परिवर्तन होना
- सांस में दुर्गंध
- आंतरिक दर्द और दबाव लगना
⦿ पेट के दाहिने हिस्से में लगातार दर्द: पित्ताशय के क्षेत्र में लंबे समय से रहे दर्द की तीव्रता धीरे-धीरे बढ़ती है, जो स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक संकेत हो सकता है।
⦿ त्वचा और आँखों का पीला होना: त्वचा और आँखें पीली पड़ जाती हैं, जो पित्ताशय के कैंसर का एक महत्वपूर्ण लक्षण है और तत्काल जांच जरूरी है।
⦿ उल्टी और अपच होना: भोजन पचने में कठिनाई या बार-बार उल्टी होना पित्ताशय के कैंसर के शुरुआती संकेत हो सकते हैं।
⦿ वजन में अनावश्यक कमी: न खाने के कारण या पाचन तंत्र की गड़बड़ी के कारण वजन तेजी से घट सकता है, जो रोग की गंभीरता को दर्शाता है।
⦿ मुँह में कड़वा स्वाद: पित्ताशय के पाचन प्रवाह में परिवर्तन के कारण मुँह में लगातार कड़वाहट रहना लक्षण हो सकता है।
⦿ भूख कम लगना: गले में कुछ भी खाने की इच्छा न होना या भूख न लगना रोग के लक्षणों में से एक है।
⦿ सर्दी या बुखार आना: पित्ताशय में सूजन या संक्रमण होने के कारण थकान महसूस होती है और हल्का बुखार रहता है।
⦿ मल में परिवर्तन होना: मल पीला या सफेद दिखने का कारण पाचन प्रणाली के अवरोध या कैंसर का प्रभाव हो सकता है।
⦿ सांस में दुर्गंध: पित्ताशय के प्रवाह में परिवर्तन के कारण मुँह से दुर्गंध आना या कमजोरी महसूस होना लक्षण बन सकता है।
⦿ आंतरिक दर्द और दबाव लगना: पेट में लगातार दबाव या फुलाव जैसी भावना रहना और वह धीरे-धीरे बढ़ती जाना, जो तत्काल ध्यान में लेने योग्य है।
कारण (Causes)
- पित्ताशय की पथरी
- धूम्रपान और शराब का अत्यधिक सेवन
- वसायुक्त और प्रसंस्कृत आहार
- आनुवांशिक कारक
- जीवाणु या संक्रमण
- पाचन तंत्र के अन्य रोग
- रासायनिक और विषैले पदार्थ
- मोटापा और अनियमित जीवनशैली
- लंबे समय तक सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन
- उम्र और लिंग
⦿ पित्ताशय की पथरी: लंबे समय तक पित्ताशय में पथरी रहने से सूजन होती है, जो पित्ताशय के कैंसर के विकास के लिए मुख्य कारक बन सकती है।
⦿ धूम्रपान और शराब का अत्यधिक सेवन: आदतें पित्ताशय की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाती हैं, जो संक्रमण और कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
⦿ वसायुक्त और प्रसंस्कृत आहार: अधिक वसायुक्त या प्रसंस्कृत खाद्य पित्ताशय पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं और लंबी अवधि में रोगों की संभावना बढ़ा सकते हैं।
⦿ आनुवांशिक कारक: परिवार में पित्ताशय के कैंसर का इतिहास हो, तो इस रोग के होने का जोखिम अधिक होता है।
⦿ जीवाणु या संक्रमण: हेपेटाइटिस बी या सी जैसे वायरस के संक्रमण पित्ताशय के पाचन प्रवाह को नुकसान पहुँचाकर कैंसर का जोखिम बढ़ा सकते हैं।
⦿ पाचन तंत्र के अन्य रोग: पैनक्रिएटिटिस या गैस्ट्रिक समस्याएँ पित्ताशय के ऊतकों पर लंबे समय तक प्रभाव डाल सकती हैं।
⦿ रासायनिक और विषैले पदार्थ: रासायनिक पदार्थ या कीटनाशक पदार्थों के संपर्क में रहना पित्ताशय की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचा सकता है।
⦿ मोटापा और अनियमित जीवनशैली: अधिक वजन और उच्च कोलेस्ट्रॉल पित्ताशय में तनाव पैदा करते हैं, जो कैंसर के जोखिम के लिए जिम्मेदार बनते हैं।
⦿ लंबे समय तक सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन: अनावश्यक कैफीन और शुगर वाले पेय पित्ताशय में अवरोध और कैंसर के विकास के लिए प्रेरक बनते हैं।
⦿ उम्र और लिंग: पित्ताशय का कैंसर ज्यादातर 50 वर्ष से ऊपर के लोगों में देखा जाता है, और कुछ अध्ययनों में महिलाओं में इसका अनुपात अधिक है।
निदान (Diagnosis)
- अल्ट्रासाउंड
- सीटी स्कैन (CT Scan)
- एमआरआई (MRI)
- बायोप्सी
- एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (EUS)
- पेट स्कैन (PET Scan)
- रक्त की जांच
- एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंगियोपैनक्रेटोग्राफी (ERCP)
- जरूरत पड़ने पर सर्जिकल निदान
- जैविक परीक्षण
⦿ अल्ट्रासाउंड: पित्ताशय के क्षेत्र में अवरोध या असामान्य वृद्धि का पता लगाने के लिए पहली तकनीक है, जिससे तत्काल जानकारी मिल सकती है।
⦿ सीटी स्कैन (CT Scan): पित्ताशय और उसके आसपास के अंगों में कैंसर की स्थिति और फैलाव का अंदाजा लगाने के लिए उपयोग होता है।
⦿ एमआरआई (MRI): पित्ताशय के नरम ऊतक और प्रवाह के कारकों का पता लगाने के लिए उन्नत तकनीक है, जो अधिक सटीकता प्रदान करती है।
⦿ बायोप्सी: पित्ताशय के घाव के नमूनों को लेकर यह निर्धारित किया जाता है कि वह कैंसरजन्य है या नहीं, जो निदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
⦿ एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (EUS): पित्ताशय के अंदर ट्यूमर या संक्रमण के बारे में अधिक विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए यह पद्धति उपयोगी है।
⦿ पेट स्कैन (PET Scan): कैंसर की कोशिकाओं की गतिविधि और उसके शरीर के अन्य भागों में फैलाव के बारे में जानने के लिए यह तकनीक उपयोग होती है।
⦿ रक्त की जांच: ट्यूमर मार्कर्स जैसे कि CA 19-9 जैसे रासायनिक तत्वों का स्तर जानकर कैंसर की उपस्थिति का अंदाजा लगाना।
⦿ एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंगियोपैनक्रेटोग्राफी (ERCP): यह पद्धति पित्ताशय और पित्तनली में अवरोध या गांठ की जांच के लिए की जाती है।
⦿ जरूरत पड़ने पर सर्जिकल निदान: यदि मेडिकल स्कैन से पूरी जानकारी न मिले, तो सर्जरी द्वारा पित्ताशय के नमूने की जांच की जाती है।
⦿ जैविक परीक्षण: विशेष आणविक जांचों से कैंसर के मूल और उसके जैविक स्वरूप को जानने के लिए यह पद्धति अपनाई जाती है।
उपचार (Treatments)
- सर्जरी
- कीमोथेरेपी
- रेडियेशन थेरेपी
- टारगेटेड थेरेपी
- इम्यूनोथेरेपी
- एंडोस्कोपिक उपचार
- पल्लिएटिव देखभाल
- आहार प्रबंधन
- क्लिनिकल ट्रायल्स
- लेजर थेरेपी
⦿ सर्जरी: पित्ताशय या उसके आसपास की प्रभावित कोशिकाओं को हटाने के लिए की जा सकती है। शुरुआती चरण के कैंसर के लिए यह सबसे प्रभावी उपचार है।
⦿ कीमोथेरेपी: कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाओं का उपयोग होता है। यह उपचार अधिक चरण के कैंसर के फैलाव को नियंत्रित करने में सहायक है।
⦿ रेडियेशन थेरेपी: विकिरणों की मदद से कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। यह विशेष रूप से ट्यूमर को छोटा करने या सर्जरी से पहले उपयोगी है।
⦿ टारगेटेड थेरेपी: कैंसर के विशिष्ट अणुओं को निशाना बनाकर उसकी वृद्धि को रोकने वाली यह पद्धति मरीजों के लिए नवीन विकल्प है।
⦿ इम्यूनोथेरेपी: शरीर के रोगप्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाकर कैंसर की कोशिकाओं के खिलाफ लड़ने में मदद करता है। यह पद्धति विशेष रूप से मेटास्टेटिक कैंसर में उपयोगी है।
⦿ एंडोस्कोपिक उपचार: शुरुआती कैंसर के मामलों में पित्ताशय में घाव को हटाने के लिए कम आक्रामक उपचार पद्धति है।
⦿ पल्लिएटिव देखभाल: यदि कैंसर पर्याप्त रूप से फैल गया हो तो मरीज के दर्द का नियंत्रण और आराम प्रदान करने के लिए यह उपचार दिया जाता है।
⦿ आहार प्रबंधन: पौष्टिक और कम वसायुक्त भोजन द्वारा शारीरिक शक्ति को सुधारने में मदद करता है, विशेष रूप से उपचार के बाद।
⦿ क्लिनिकल ट्रायल्स: नवीन उपचार विकल्पों की परीक्षण पद्धति में भाग लेकर उन्नत उपचार प्राप्त करने की संभावना उपलब्ध होती है।
⦿ लेजर थेरेपी: लेजर तकनीक का उपयोग करके ट्यूमर या अवरोध को हटाने के लिए अधिक सटीक पद्धति उपयोग होती है।
उपचार विकल्प और परिणाम तालिका
उपचार | संकेत | सामान्य दुष्प्रभाव | अपेक्षित परिणाम |
---|---|---|---|
सर्जरी | यदि कैंसर शुरुआती चरण में हो और पित्ताशय को हटाना संभव हो | दर्द, पाचन समस्या, अस्थायी वजन घटाना | कैंसरग्रस्त भाग हटाकर रोग नियंत्रण |
कीमोथेरेपी | कैंसर अधिक फैला हो या सर्जरी के बाद के उपचार के लिए | उल्टी, बाल झड़ना, शारीरिक थकान | कैंसर की वृद्धि में अवरोध लाना |
रेडियेशन थेरेपी | ट्यूमर को छोटा करना या सर्जरी के बाद बढ़ते कैंसर का नियंत्रण | त्वचा पर लालिमा, थकान, संक्रमण की संभावना | ट्यूमर की वृद्धि रोकना या छोटा करना |
टारगेटेड थेरेपी | यदि कैंसर विशेष अणु पर आधारित होकर बढ़ता हो | एलर्जी प्रतिक्रिया, त्वचा समस्या | कैंसर की विशेष कोशिकाओं को निशाना बनाकर नष्ट करना |
इम्यूनोथेरेपी | यदि कैंसर रोगप्रतिरोधक तंत्र को नजरअंदाज कर तेजी से फैले | बुखार, थकान, सांस की समस्या | शरीर के प्रतिकारक तंत्र से कैंसर के खिलाफ लड़ना |
एंडोस्कोपिक उपचार | ट्यूमर को हटाने के लिए कम आक्रामक पद्धति | रक्तस्राव, गले या पेट में थोड़ी असहजता | ट्यूमर हटाना और पाचन सुधारना |
लेजर थेरेपी | यदि कैंसर अवरोध उत्पन्न करे और खाने-पीने में कठिनाई हो | तत्काल सूजन, हल्की असहजता | ट्यूमर हटाकर पित्ताशय का कार्य सुधारना |
पल्लिएटिव केयर | कैंसर आगे बढ़ गया हो और उपचार संभव न हो | दर्द नियंत्रण, थकान कम करने की दवाएं | मरीज को आराम और मानसिक शांति प्रदान करना |
आहार प्रबंधन | पाचन संबंधी समस्या कम करने और शरीर की शक्ति बनाए रखने के लिए | पाचन समस्याएं, कम भूख | पौष्टिक भोजन द्वारा शरीर का स्वास्थ्य सुधारना |
क्लिनिकल ट्रायल्स | यदि रोग पर उन्नत उपचार के विकल्प उपलब्ध हों | अज्ञात दुष्प्रभाव, संभावित फायदे-नुकसान | नवीन तकनीक से सफलता प्राप्त करने की संभावना |
अपने डॉक्टर से पूछने के लिए प्रश्न
- मेरे पित्ताशय के कैंसर का चरण क्या है और यह कितना गंभीर है?
- मेरे लिए कौन सा उपचार सबसे अधिक प्रभावी होगा?
- उपचार के दौरान और बाद में क्या दुष्प्रभाव देखे जा सकते हैं?
- पित्ताशय के कैंसर से बचने के लिए मैं क्या कदम उठा सकता हूँ?
- क्या मेरी जीवनशैली और आहार में कोई खास बदलाव की जरूरत है?
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों
हाँ, यदि परिवार में किसी को पित्ताशय या हेपेटोबिलियरी कैंसर हुआ हो, तो उस व्यक्ति को पित्ताशय के कैंसर का जोखिम अधिक हो सकता है।

डॉ हर्ष शाह
MS, MCh (G I cancer Surgeon)
डॉ. हर्ष शाह अहमदाबाद के एक प्रसिद्ध जीआई और एचपीबी रोबोटिक कैंसर सर्जन हैं। वे भोजन नली, पेट, लीवर, पैंक्रियास, बड़ी आंत, मलाशय और छोटी आंत के कैंसर का इलाज करते हैं। वे अपोलो अस्पताल में उपलब्ध हैं।